Wednesday 27 February 2013

कुश्ती ओलंपिक से बाहर, भारत को झटका


सियासी और हादसों को लेकर चौतरफा बयानबाजी के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने देश को करारा झटका दिया है। देश के लिये बुरी खबर ये है कि 2020 में होने वाले ओलंपिक खेलों से कुश्‍ती को बाहर कर दिया गया है। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अंतरराष्‍ट्रीय ओलंपिक कमेटी की बैठक में ये फैसला लिया गया है कि 2020 के ओलंपिक में कुश्‍ती को शामिल नहीं किया जायेगा। ये खबर निश्चित तौर पर भारतीय खेलों के लिये एक बड़ा झटका है। इसे बड़ा झटका कहना इसलिये भी सही होगा क्‍योंकि पिछले दो ओलंपिक में भारत कुश्‍ती में लगातार मेडल जीतता आ रहा है। इस बार उसने इस स्पर्धा में एक सिल्वर और एक ब्रांज मेडल अपने नाम किया था। 

भारत के सुशील कुमार पिछले दो ओलंपिक से लगातार कुश्ती में मेडल जीतते आ रहे हैं लेकिन तीसरी बार मेडल जीतने का उनका सपना अब अधूरा ही रह जाएगा। सूत्रों की मानें एसोसिएट ने इस संबंध में बताया है कि आईओसी कार्यकारी बोर्ड ने कुश्ती को हटाकर उसकी जगह पर माडर्न पेंटाथलन को फिर से ओलंपिक खेलों से जोड़ने का फैसला किया जिसे अधिक जोखिम वाला खेल माना जाता है। आईओसी बोर्ड ने वर्तमान ओलंपिक कार्यक्रम के 26 खेलों की समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया। उल्‍लेखनीय है कि कुश्ती अब उन सात खेलों में शामिल हो गयी है जिन्हें 2020 खेलों में शामिल होने के लिये आवेदन करना होगा। अन्य खेलों में बेसबाल एवं साफ्टबाल, कराटे, स्क्वाश, रोलर स्पोट्र्स स्पोर्ट क्लाइम्बिंग, वेकबोर्डिंग और वुशु शामिल हैं।

Tuesday 29 January 2013

सर्बियाई खिलाडी ने फिर जीता ऑस्ट्रेलिया ओपन

सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने ब्रिटेन के एंडी मरे को हरा कर ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब लगातार तीसरी बार अपने नाम कर लिया है। इस तरह वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में टाइटल का हैट ट्रिक लगाने वाले दुनिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं।
 मेलबर्न में जोकोविच और मरे के बीच हुआ दिलचस्प मुकाबला दो बार टाई ब्रेकर में बदल। एक सेट से आगे चल रहे मरे फायदा नहीं उठा पाए जबकि दूसरे सेट में टाई ब्रेकर अपने नाम करने के बाद जोकोविच कोर्ट पर काफी आक्रामक दिखे और उन्होंने उसके बाद एक भी सेट मरे के हाथ नहीं जाने दिया। 3 घंटे 40 मिनट चले मैच को सर्बियाई खिलाड़ी ने 6-7 (2/7), 7-6 (7/3), 6-3, 6-2 से अपने नाम किया।
                                   
इसके साथ ही जोकोविच लगातार तीन बार ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतने वाले दुनिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। इस से पहले ऐसा रिकॉर्ड बनाने वाले दोनों खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के ही थे। जैक क्रॉफोर्ड ने 1931-33 के बीच खिताब जीता तो रॉय एमरसन ने 1963-67 के बीच पांच बार लगातार ऑस्ट्रेलियन ओपन अपने नाम किया। एमरसन के बराबर आने के लिए जोकोविच को अगले दो साल भी ऐसा ही करिश्मा दिखाना होगा।

     यह जोकोविच का चौथा ऑस्ट्रेलियन ओपन और छठा ग्रैंड स्लैम खिताब है। सबसे पहली बार उन्होंने 2008 में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था। इस जीत ने उन्हें आंद्रे अगासी और रोजर फेडरर के बराबर ला खड़ा किया है जो चार-चार बार इस खिताब को अपने नाम कर चुके हैं। जोकोविच को ट्रॉफी भी अगासी के ही हाथों मिली। ट्रॉफी लेने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए जोकोविच ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं। इस ट्रॉफी को एक और बार जीतना, यह एक अद्भुत एहसास है और यह यकीनन मेरा सबसे पसंदीदा ग्रैंड स्लैम है, मेरा सबसे सफल ग्रैंड स्लैम, मुझे इस कोर्ट से बहुत प्यार है।"
        
   एंडी मरे ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन घुटने की चोट और पैरों में छाले के कारण वह कमजोर पड़ते दिखे।सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने ब्रिटेन के एंडी मरे को हरा कर ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब लगातार तीसरी बार अपने नाम कर लिया है। इस तरह वह ऑस्ट्रेलियन ओपन में टाइटल का हैट ट्रिक लगाने वाले दुनिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं।


      मेलबर्न में जोकोविच और मरे के बीच हुआ दिलचस्प मुकाबला दो बार टाई ब्रेकर में बदल। एक सेट से आगे चल रहे मरे फायदा नहीं उठा पाए जबकि दूसरे सेट में टाई ब्रेकर अपने नाम करने के बाद जोकोविच कोर्ट पर काफी आक्रामक दिखे और उन्होंने उसके बाद एक भी सेट मरे के हाथ नहीं जाने दिया। 3 घंटे 40 मिनट चले मैच को सर्बियाई खिलाड़ी ने 6-7 (2/7), 7-6 (7/3), 6-3, 6-2 से अपने नाम किया।

      इसके साथ ही जोकोविच लगातार तीन बार ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतने वाले दुनिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। इस से पहले ऐसा रिकॉर्ड बनाने वाले दोनों खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के ही थे। जैक क्रॉफोर्ड ने 1931-33 के बीच खिताब जीता तो रॉय एमरसन ने 1963-67 के बीच पांच बार लगातार ऑस्ट्रेलियन ओपन अपने नाम किया। एमरसन के बराबर आने के लिए जोकोविच को अगले दो साल भी ऐसा ही करिश्मा दिखाना होगा।
     
यह जोकोविच का चौथा ऑस्ट्रेलियन ओपन और छठा ग्रैंड स्लैम खिताब है। सबसे पहली बार उन्होंने 2008 में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था। इस जीत ने उन्हें आंद्रे अगासी और रोजर फेडरर के बराबर ला खड़ा किया है जो चार-चार बार इस खिताब को अपने नाम कर चुके हैं। जोकोविच को ट्रॉफी भी अगासी के ही हाथों मिली। ट्रॉफी लेने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए जोकोविच ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं। इस ट्रॉफी को एक और बार जीतना, यह एक अद्भुत एहसास है और यह यकीनन मेरा सबसे पसंदीदा ग्रैंड स्लैम है, मेरा सबसे सफल ग्रैंड स्लैम, मुझे इस कोर्ट से बहुत प्यार है।"
        
   एंडी मरे ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन घुटने की चोट और पैरों में छाले के कारण वह कमजोर पड़ते दिखे। टाई ब्रेकर में पहला सेट जीत जाने के बाद जोकोविच की सर्विस वाले दूसरे सेट को वह तीन बार ब्रेक प्वाइंट तक लाए, लेकिन आखिरकार लड़खड़ा गए। मरे का हौसला तीसरे सेट में तब टूटता दिखा जब आठवीं गेम के दौरान जोकोविच ने उनसे एक अहम प्वाइंट मार लिया। यह प्वाइंट उन्होंने 36 स्ट्रोक के बाद खोया। इसके बाद कोर्ट पर जोकोविच को मुस्कुराते हुए देखा गया और मरे हर प्वाइंट के साथ दबाव में आते दिखते रहे।

      मैच के बाद जोकोविच की तारीफ में उन्होंने कहा, "मैं नोवाक को बधाई देता हूं। यहां उसका रिकॉर्ड अद्भुत है और बहुत कम ही लोग हैं जो यह करने में सक्षम रहे हैं जो उसने कर दिखाया है। वह एक चैम्पियन है और इस जीत का हकदार है।" इस से पहले 2011 में जोकोविच ने मरे को लगातार सेट्स में हरा कर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2012 में उन्होंने स्पेन के रफाएल नडाल को एक दिलचस्प मैच में हराया था। यह मैच 5 घंटे 53 मिनट तक चला और ग्रैंड स्लैम का अब तक का सबसे लंबा मैच रहा।

  टाई ब्रेकर में पहला सेट जीत जाने के बाद जोकोविच की सर्विस वाले दूसरे सेट को वह तीन बार ब्रेक प्वाइंट तक लाए, लेकिन आखिरकार लड़खड़ा गए। मरे का हौसला तीसरे सेट में तब टूटता दिखा जब आठवीं गेम के दौरान जोकोविच ने उनसे एक अहम प्वाइंट मार लिया। यह प्वाइंट उन्होंने 36 स्ट्रोक के बाद खोया। इसके बाद कोर्ट पर जोकोविच को मुस्कुराते हुए देखा गया और मरे हर प्वाइंट के साथ दबाव में आते दिखते रहे।

      मैच के बाद जोकोविच की तारीफ में उन्होंने कहा, "मैं नोवाक को बधाई देता हूं। यहां उसका रिकॉर्ड अद्भुत है और बहुत कम ही लोग हैं जो यह करने में सक्षम रहे हैं जो उसने कर दिखाया है। वह एक चैम्पियन है और इस जीत का हकदार है।" इस से पहले 2011 में जोकोविच ने मरे को लगातार सेट्स में हरा कर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2012 में उन्होंने स्पेन के रफाएल नडाल को एक दिलचस्प मैच में हराया था। यह मैच 5 घंटे 53 मिनट तक चला और ग्रैंड स्लैम का अब तक का सबसे लंबा मैच रहा।


Tuesday 22 January 2013

सौराष्ट्र ने 75 साल बाद रचा इतिहास पहुंची फाइनल में

रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट में सौराष्ट्र ने पंजाब को 229 रन से हराकर 75 साल बाद फाइनल में अपनी जगह पक्की की।  रविवार को हुए सेमीफाइनल मुकाबले में ऑफ स्पिनर विशाल जोशी की शानदार गेंदबाजी  की बदौलत सौराष्ट्र ने पंजाब को करारी शिकस्त दी। जोशी ने पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में 43 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए। इसके अलावा धर्मेंद्र जडेजा ने तीन और जयदेव उनादकट ने दो विकेट लिए। फाइनल मुकाबला 26 जनवरी को खेला जाएगा। फाइनल मुकाबले में सौराष्ट्र की टक्कर मुंम्बई और सेना के बीच खेले जा रहे मैच के विजेता से होगी।

                           सेमीफाइनल मुकाबले में सौराष्ट्र नें बल्लेबाजी का आगाज़ करते हुए 477 रन बनाए। जवाब में पंजाब की टीम पहली पारी में 299 रन पर सिमट गई और सौराष्ट्र ने पहली पारी में 178 रन की बढत बना ली। इसके बाद सौराष्ट्र दूसरी पारी में मात्र 170 रन ही बना सकी और पंजाब के आगे 349 रनों का लक्ष्य रखा। दूसरी पारी की शुरुआत करते हुए पंजाब ने चौथे दिन मात्र 45 रन पर अपने दो विकेट खो दिेए। पांचवे  और अंतिम दिन के खेल में पंजाब ने सिर्फ 21 ओवर खेलकर ही अपने बकाया 8 विकेट भी गंवा दिए। पंजाब  की टीम मात्र 40 ओवर खेलकर 119 रन के साधारण स्कोर पर सिमट गई। पंजाब की ओर से दूसरी पारी में सर्वाधिक स्कोर करने वाले खिलाडी मनदीप सिंह रहे। मनदीप ने सबसे अधिक 33 रन बनाए। इसके अलावा टीम के छ: खिलाडी अपने व्यक्तिगत स्कोर को दोहरे अंकों में भी तब्दील नहीं कर सके। विशाल जोशी को मैच में 102 रन देकर 9 विकेट हासिल करने के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
                           
                             सौराष्ट्र की टीम पहले नवानगर के नाम से जानी जाती थी। तब उसने दो बार घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट में जगह बनाई थी। इससे पहले सौराष्ट्र (नवानगर) नें अपना अंतिम फाइनल 1937-38 में खेला था। इस मैच में उसे हैदराबाद के विरुद्ध हार का सामना करना पडा था। वर्ष 1936-37 में इस टीम ने बंगाल को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा किया था। 2005-06 में जयदेव शाह की कप्तानी में सौराष्ट्र ने अजय जडेजा की अगुआई वाली राजस्थान को हराकर रणजी प्लेट डिविज़न खिताब अपने नाम किया था।

Monday 21 January 2013

स्विंग के बादशाह भुवनेश्वर

जहीर खान के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का अगला रफ्तार का चेहरा कौन होगा इस सवाल का जवाब शायद हम सबके सामने भुवनेश्वर कुमार के रूप में आने लगा है। पहले पाकिस्तान फिर इंग्लैंड के खिलाफ सधी हुई गेंदबाजी करके इस गेंदबाज ने सबको प्रभावित किया है। कोच्चि वनडे में भुवनेश्वर कुमार की बेहतरीन गेंदबाजी के बाद उनके शहर मेरठ में भी जमकर जश्न मना।

मेरठ में मना जश्न

कोच्चि और मेरठ में फासला 2000 किलोमीटर से ज्यादा का है, लेकिन जैसे-जैसे कोच्चि में एलेस्टेयर कुक, केविन पीटरसन और इयान मोर्गन के विकेट गिरे। मेरठ में जश्न जमकर मना और मनता भी क्यों नहीं शहर के लाडले ने प्रदर्शन ही ऐसा शानदार किया था। कोच्चि वनडे में भुवनेश्वर कुमार ने जहां 10 ओवर में 29 रन देकर 3 विकेट झटके। इससे पहले पाकिस्तान के खिलाफ भी भुवनेश्वर ने 3 वनडे मैच में 23.8 की शानदार औसत से 5 विकेट झटके थे।

पाकिस्तान के खिलाफ बटोरी सुर्खियां

पाकिस्तान के खिलाफ पहले टी-20 मैच से ही भुवनेश्वर कुमार अपनी स्विंग के लिए काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं। यूनिस खान से लेकर केविन पीटरसन तक भुवनेश्वर की इन स्विंग गेंदबाजी के खतरे को पूरी तरह जान चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार आगाज के चलते भुवनेश्वर कुमार सुर्खियां तो अब बटोर रहे हैं लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का ये गेंदबाज अपनी प्रतिभा का लोहा पहले ही मनवा चुका था।

सचिन को भी डक पर आउट कर चुके हैं

भुवनेश्वर कुमार ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 46 मुकाबलों में 26.50 की औसत से 149 विकेट लिए हैं। इन 149 विकेट में से एक सचिन तेंदुलकर का भी है। भुवनेश्वर कुमार ने आगाज बहुत शानदार किया है। नई गेंद से ये गेंदबाज सबको प्रभावित कर रहा है अब उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वो ना सिर्फ नई बल्कि पुरानी गेंद के साथ भी बल्लेबाजों के लिए खतरा बनें क्योंकि अगर वो ऐसा कर पाएं तो सही मायने में भुवनेश्वर भारतीय गेंदबाजी के भविष्य के तौर पर उबर सकते हैं।